Pashu Svaasthy Prabandhan
Authors:
Dr. Ashish Soni,
Dr. S. S. Mawahor,
Publish Date/ Year : मई २०२२ | Format: Paperback | Genre : Veterinary Science | Other Book Detail
Publish Date/ Year : मई २०२२ | Format: Paperback | Genre : Veterinary Science | Other Book Detail
गलाघोंट रोग मुख्य रूप से गाय तथा भैंस को लगता है। इस रोग को सािारण भाषा
में गलघोंट के अकतररक्त ‘घूरखा’, ‘घोंटआ’, ‘अषरढया’, ‘डकहा’ आदद नामों से भी
जाना जाता है। इस रोग से पशु अकाल मृत् का सशकार हो जाता है। यह मानसून के
समय व्ापक रूप से फैलता है। अकत तीव्र गकत से फैलने वाला यह जीवाणु जननत
रोग, छत वाला भी है। जो ज्ादातर 6 महीने से लेकर 2 वष्ष तक के पशु को होता है।
गाय व भैंसों में होने वाला एक बहुत ही घातक तथा छतदार रोग है जुकी अधिकतर
बरसात के मौसम में होता है यह गोपशुओ की अपेक्ा भैंसों में अधिक पाया जाता
है| इस रोग के प्रमुख लक्णों में तेज़ बुखार, गले में सूजन, सास लेने में तकलीफ
ननकालकर सास लेना तथा सास लेते समय तेज़ आवाज होया आदद शानमल
है| कईं बार कबना ककसी स्पष्ट लक्णों के ही पशु की अचानक मृत् हो जाती है|
शुरुआत तेज बुखार (105-107 रडग्ी) से होती है। पीऱित पशु के मुह से ढेर
सारा लार ननकलता है। गद्षन में सूजन के कारण सास लेने के दौरान घर-घर की
आवाज आती है और अतत: 12-24 घटे में मौत हो जाती है। रोग से मरे पशु को गढडे
में दफनाए। खुले में फेंकने से सक्रनमत बैक्ीररया पानी के साथ फैलकर रोग के
प
्
रकोप का दायरा बढा देता है
Pages
६१ pages
६१ pages
Language
Hindi
Hindi
Publication date
मई २०२२
मई २०२२
ISBN-13
९७८-९३-९४२३८-६५-७
९७८-९३-९४२३८-६५-७
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